Wednesday, August 11, 2010

kashmeer mudda

       काश्मीरी आन्दोलन और नक्सली आन्दोलन में हालाँकि समानता नहीं है, पर मुख्यधारा की राजनीति दोनों जगह फेल है. जनता की कुंठा का फायदा उठाने वाले  तत्त्व  तो आगे आएँगे ही . बेशक हमारी फ़ौज ने आतंकवादियों पर काबू पा लिया, पर जनता से जोड़ने का काम राजनीति का है. "राजनीति सिर्फ सत्ता का सुख भोगने के लिए नहीं है"
सन २००६ में प्रधानमंत्री के साथ राउंड  टेबल में पांच कार्यदल बनाने का फरमान जारी हुआ था. कहाँ हैं वे कार्यदल ? क्या कार्य कर रहें हैं ?  लगता है हम मसलों को टालने के लिए राजनीति का इस्तेमाल करते हैं .  समाधान के लिए नहीं.  इसमें राजनीति और केंद्र की मुख्यधारा की राजनीति दोनों जिम्मेदार हैं.

2 comments:

  1. ham log abhi sirf keh hi sakte hain...! badlaav ki bayaar lana abhi baki hai!

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