पिछले दो-तीन महीनों में जिस तरह देश में एक नई पार्टी उभरी है। उसने आम लोगों की खास बनने की लालसा ज्यादा जगाई है। इंडिया अंगेस्ट करप्शन का नारा लेकर सड़कों से उठी पार्टी ने लोक लुभावन नारों से दिल्ली की जनता मन तो मोह ही लिया है। या कहें कि दिल्ली के आम ने आप पर भरोसा जताया है। जब से पार्टी सत्ता में आई। इसके साथ जुड़ने की लोगों में होड़ लग गई। आप-की लोकप्रियता को देखते इससे हमारा मीडिया जगत भी अछूता नहीं रहा। लेकिन ये लोग देशसेवा या जन सेवा के लिए इससे नहीं जुड़ रहे। दरअसल ये मौका परस्त लोग हैं जो मौका मिलते ही चौका लगा दिए। और व्हाइट कुर्ते पर खादी रंग इनके दिल में छुपे नेता के रूप में बाहर आ गया। ये लोग आम से खास की होने की चाह में आप-का दामन थाम लिए। इसकी दो वजहें हैं-
पहली वजह यह कि यदी ये देश की अन्य बड़ी पार्टियों में शामिल होते तो इन्हें पार्टी के शीर्षस्थ लोगों के लिए चटाई, कालीन बिछाने से लेकर न जाने क्या-क्या करना पड़ता अच्छा सेवक बने तो मेवा मिलने के कुछ आसार बने वरना टाटपट्टी बिछाते-उठाते तो उम्र ही बीत जाती। और धरे के धरे रह जाते आपके नेता बनने के सपने।
दूसरी वजह यह कि आप से जुड़े, सफेद सूती कपड़े से बनी टोपी में ' मुझे स्वराज चाहिए' और ' मैं हूं आम आदमी' पहनी, आम से खास हो गए आप। एकाध जगह भाषण दिए। धरने पर बैठ गए। वैसे इसके लिए केजरीवाल काफी हैं उनके बगल में बैठे हैं और मीडिया कैमरे के वाइड एंगल से होते हुए जूम और फिर पोट्रेट फ्रेम में सेट हो लिए तो बन गए आप-नेता। वो भी हमारे नहीं आप-के।
चलिए आप आम से खास हो गए। फिर आप देश के अन्य बड़ी पार्टियों के दिग्गजों खलिस झूठे और खुद को सच्चा कहने लगे। रात में जाकर छापेमारी करने लगे। कहीं देहव्यापार हो रहा है। कहीं पुलिस पैसे ले रही है। देश को बताया। वो भी मीडिय़ा के जरिए। लेकिन जब खुद में कुछ गड़बड़ दिखा तो लगे पुलिस को कोसने। इतने में आप नहीं माने। पुलिस पर अपना प्रभुत्व जमाने के लिए आप गृहमंत्रालय में धरने की चेतावनी देते हैं और रेलभवन पर धरने पर बैठकर खूब हो हल्ला करते हैं। लेकिन जब आप-के आम पिटने लगते हैं। धरना-वरना बंद कर देते हैं। और कहने लगते हैं कि हमारी जी हुई। जबकि हकीकत इससे जुदा है।
इतने में आप नहीं रुके। जिस मीडिया ने आपको जनता का 'रॉबिन हुड' बनाया। आप उसी पर लांछन लगाने लगे। कि मीडिया गलत कर रहा है। यदि ऐसा ही रहा तो ज्यादा दिन आप, आप नहीं रह पाएंगे।
सीधी बात यह है कि यदि आम ने आप-को चुना है तो बेहतर होगा आप, आम के काम आएं। जिन मुद्दों की गुहार लगाकर आप निकले हैं उन पर अमल तो कीजिए। नहीं तो पब्लिक सब जानती है। बाकी आम से खास होने की चाह रखने वाले भी कम समझदार नहीं है।
पहली वजह यह कि यदी ये देश की अन्य बड़ी पार्टियों में शामिल होते तो इन्हें पार्टी के शीर्षस्थ लोगों के लिए चटाई, कालीन बिछाने से लेकर न जाने क्या-क्या करना पड़ता अच्छा सेवक बने तो मेवा मिलने के कुछ आसार बने वरना टाटपट्टी बिछाते-उठाते तो उम्र ही बीत जाती। और धरे के धरे रह जाते आपके नेता बनने के सपने।
दूसरी वजह यह कि आप से जुड़े, सफेद सूती कपड़े से बनी टोपी में ' मुझे स्वराज चाहिए' और ' मैं हूं आम आदमी' पहनी, आम से खास हो गए आप। एकाध जगह भाषण दिए। धरने पर बैठ गए। वैसे इसके लिए केजरीवाल काफी हैं उनके बगल में बैठे हैं और मीडिया कैमरे के वाइड एंगल से होते हुए जूम और फिर पोट्रेट फ्रेम में सेट हो लिए तो बन गए आप-नेता। वो भी हमारे नहीं आप-के।

इतने में आप नहीं रुके। जिस मीडिया ने आपको जनता का 'रॉबिन हुड' बनाया। आप उसी पर लांछन लगाने लगे। कि मीडिया गलत कर रहा है। यदि ऐसा ही रहा तो ज्यादा दिन आप, आप नहीं रह पाएंगे।
सीधी बात यह है कि यदि आम ने आप-को चुना है तो बेहतर होगा आप, आम के काम आएं। जिन मुद्दों की गुहार लगाकर आप निकले हैं उन पर अमल तो कीजिए। नहीं तो पब्लिक सब जानती है। बाकी आम से खास होने की चाह रखने वाले भी कम समझदार नहीं है।